बाइबल विषय मार्गदर्शिका
विषय मार्गदर्शक शब्दकोश नहीं है जहां बाइबल किसी निश्चित शब्द का प्रयोग करती है, बल्कि यह बाइबल के अनुच्छेदों सहित (साधारणतयः अकेले पद के साथ नही) उन प्रमुख विषयों को सूचीबद्ध करता है जिनमें पाठकों की रुचि हो सकती है और जो इन विषयों को स्पष्ट करते हैं। अत्यावश्यक रुचि या प्रमुख महत्व के प्रसंगों को सूची के अंदर ही विशिष्टता प्रदान की गयी है। यद्यपि हमने व्यापक बनने का प्रयास किया है, फिर भी विषयों की कोई भी सूची आवश्यक रूप में प्रतिबद्ध होती ही है। “येशु” के समान विषयों को उनके आकार के कारण इसमें शामिल नहीं किया गया है। उद्धरणों के शीर्षक, विषय की अंतर्दृष्टि या परिचय से संबंध है।
अ
अब्राहम - यहूदी राष्ट्र का संस्थापक,बुलाया जाना- उत्पत्ति 11:26-12:20, जीवन - उत्पत्ति 11:26-25:11 और मेल्कीसेदेक - उत्पत्ति 14:18-24, वाचा - उत्पत्ति 15,17 और हाजिरा - उत्पत्ति 16, अपने इकलौते पुत्र की बलि - उत्पत्ति 22
अबाशालोम - माका से उत्पन्न दाउद का तीसरा पुत्र,
अमनोन को मारता है - 2शमुएल 13-14, दाउद के विरूद्ध विद्रोह - 2शमुएल 15:1-19:8
अपुल्लोस - सिकंदरिया का एक यहूदी जो कुरिन्थ में प्रचार करता था,
प्रिस्किला और अवकिला के साथ - प्रेरित चरित 18:24-28, उसके अनुयायी - 1कुरि0 3:1-9,
अविवाहित जीवन - विवाह न करना,
बुलाया जाना - मत्ती 19:4-12, इसके लाभ - 1कुरि0 7:32-40, आवश्यक नहीं है - 1तिमोथी 4:1-5,
अनुरूपता - किसी समुदाय के आचार-व्यवहार और महत्वों को अपना लेना,
गलत काम करने वालों के - नीतिवचन 4:10-19, संसार के - याकूब 4:1-10, 17,
अन्तःकरण - अपने भले या बुरे कार्यों के प्रति चेतना (क्षमा और स्वीकारोक्ति भी देखिए)
दोषी - स्त्रोत 38, दूसरों के प्रति संवेदनशील बनिये - रोमियों 14, 1कुरि0 8, 1कुरि0 10ः23-11ः1
अनुशासन - वह प्रशिक्षण जो ढालता है, निर्देश देता है और सुधार करता है,
माता-पिता द्वारा - सूक्ति ग्रंथ 23ः13-23, परमेश्वर द्वारा - इब्रानियों 12ः1-13,
अनंत जीवन - परमेश्वर के साथ सदा काल का जीवन जो हृदय परिवर्तन पर आरंभ होता है (देखिए नया जन्म, हृदय-परिवर्तन, उद्धार, स्वर्ग)
दाय पाना - मत्ती 19ः16-30, नये जन्म द्वारा - योहन 3ः1-29, परमेश्वर का वरदान - रोमियों 6ः15-23, इसका आश्वासन - 1 योहन 5ः1-15
अदन की वाटिका -
परमेश्वर ने रची - उत्पत्ति 2ः8-17, इससे निष्काशन - उत्पत्ति 3,
अनुग्रह - अनर्जित प्रेम और उद्धार जो परमेश्वर प्रदान करता है,
इसका दृष्टांत - लूका 15ः11-31, मसीह के द्वारा - रोमियों 5, उद्धार के लिए - ऐफिसियों 2
अतिथि सत्कार -
इस पर येशु के शब्द - लूका 14ः12-14, इसकी जिम्मेवारी - रोमियों 12ः13, 1पतरस 4ः9,
अनाथ -
देखभाल के लिए - याकूब 1ः19-27,
अभिमान - (दीनता भी देखिये)
परमेश्वर दीन बनायेगा - यशायाह 2ः10-22, इससे दूर रहिये - रोमियों 12, परमेश्वर इसका विरोध करता है - याकूब 4ः4-6,
अन्य भाषायें बोलना - स्तुति का परमेश्वर प्रदत्त वरदान अन्य भाषाओं में
प्रारंभिक कलीसिया - प्रेरित चरित 2ः1-13, 10ः44-48, इसका सुव्यवस्थित प्रयोग - 1कुरि0 12-14
आ
आदम - प्रथम मनुष्य
जीवन, उत्पत्ति 1ः26-5ः5, पतन, उत्पत्ति 3
येशु “दूसरे मनुष्य” के रूप में, रोमियों 5ः12-21, 1कुरिन्थियों 15ः21-22, 42-57
आश्वासन - उद्धार का आश्वासन
परमेश्वर की क्षमा और प्रेम के प्रति निश्चितता, भरोसे पर निर्मित, स्तोत्र ग्रंथ 37
मसीह के द्वारा, रोमियों 8
विश्वास द्वारा उत्पन्न, 2 तिमोथी 1ः8-12
परमेश्वर की आज्ञाकारिता द्वारा उपलब्ध, 1 योहन 2ः28-3ः24
आजादी
व्यवस्था से, रोमियों 8ः1-17
मसीह में, गलातियों 4ः21-5ः26, “विधिवाद” 323
आत्मा के फल
व्याख्या, गलातियों 5ः16-26
आशा
बिना निरुत्साहन, रोमियों 5ः1-11
मसीह में, कलोसियों 1ः3-27
“एक नया गीत,” 1026
आलस्य
इसके विरुद्ध चेतावनी, 2 थेस्सलुनिकियों 3ः6-15
“आलस्य की समस्या,” 145
आनन्द
अनन्त, स्तोत्र ग्रंथ 16
परमेश्वर का, स्तोत्र ग्रंथ 147ः10-11
सांसारिक, सभोपदेश 2ः1-16
उद्धार में, यशायाह 12
पश्चाताप के लिए, लूका 15
आत्मा के फल, गलातियों 5ः13-26
दुःख में, याकूब 1ः2-18, 1 पतरस 4ः12-19
आश्चर्यकर्म - एक असाधारण घटना जो परमेश्वर की शक्ति द्वारा सम्पन्न होती है,
परमेश्वर की महिमा के लिए, योहन 11ः1-44
विश्वास की ओर अग्रसर करती है, योहन 4ः43-54
“टिड्डियों का दिन,” 88, “जब परमेश्वर स्पष्ट होता था,” 116, “योहन के लिखने का कारण,” 178
आज्ञाकारिता
मसीही के लिए अनिवार्य, लूका 6ः46-49
प्रेम में, 1 योहन 3ः11-24
इस्राएल, निर्वासन के बाद, “नबी जिसने परिणाम प्राप्त किए,” 1308
आत्म-हत्या
बन्दीगृह के दरोगा को बचाया गया, प्रेरित-चरित 16ः22-36
देखिए शाऊल, यहूदा इस्कारियोती
इ
इसहाक - सारा से उत्पन्न इब्राहिम की संतान जिसका जन्म वृद्धावस्था में आश्चर्यजनक रूप से हुआ
जन्म की भविष्यवाणी, उत्पति 18ः1-15
बलिदान के रूप में, उत्पति 22ः1-19
रिबका से विवाह, उत्पति 24
पुत्रों को आशीष, उत्पति 27
उसकी मृत्यु, उत्पति 35ः16-29
इस्राएल - परमेश्वर द्वारा याकूब को दिया गया नाम, इस्राएलियों के राष्ट्र का पिता (याकूब भी देखिए)
नाम दिया गया, उत्पति 32ः22-32
उसके 12 पुत्र, उत्पति 49
इस्राएल परमेश्वर के चुने हुए लोगों का राष्ट्र, जो 12 कुलों से मिल कर बना था,
इसका भविष्य, रोमियो 11
“परमेश्वर की दृष्टि में महाविपत्तियां,” 1004
उ
उपवास - विशेष रूप में आत्मिक कारणों के लिए निर्धारित समय तक भोजन और जल ग्रहण न करना
सच्चा उपवास, यशायाह 58
येसु की शिक्षा, मत्ती 6ः16-18
चेलों का उपवास, प्रेरित चरित 13ः1-3, 14ः23
उत्सव - इस्राएल में वार्षिक उपासना के काल जैसे फसह का पर्व
व्याख्या, निर्गमन 12, लेवी ग्रंथ 23ः4-43, विधिविवरण ग्रंथ 16,
“परमेश्वर के समारोह में,” 176
“फसह, स्वतंत्रता दिवस,” 96