बाइबल क्या है?
बाइबल अध्ययन के मुद्दे पर आने से पहले यह जानना हितकर होगा कि बाइबल वास्तव में क्या है? जब आप बाइबल की विषय-सूची पर सरसरी दृष्टि डालते हैं तो आपको यह ज्ञात हो जाएगा कि बाइबल वास्तव में कई पुस्तकों का उत्तम संकलन है। ये सभी पुस्तकें अलग-अलग समयकाल में ईश्वर की दिव्य प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में मनुष्यों द्वारा रची गईं हैं। इन पुस्तकों में से कुछ कविता की पुस्तकें हैं तो कुछ कहानियों की, कुछ इतिहास का वर्णन हैं तो कुछ भविष्यवाणियाँ तो कुछ विश्वासियों को लिखे गए पत्र हैं। भरपूर विविधता होते हुए भी आश्चर्य की बात यह है कि बाइबल शुरू से आखिर तक एक ही मुख्य विषय को अपने में समेटे हुए है और यह मुख्य विषय है - “ मसीह दुःख भोगेंगे, तीसरे दिन मृतकों में से जी उठेंगे और उनके नाम पर येरुसालेम से लेकर सभी राष्ट्रों को पापक्षमा के लिए पश्चाताप का उपदेश दिया जाएगा। ”
सही मायनों में ईश-वचन
बाइबल कोई ऐसा ग्रंथ नहीं है, जिसमें किसी लेखक ने ईश्वर के विषय में लिखा है। बाइबल प्रधानतः एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें ईश्वर मनुष्य को संबोधित करता है और उसपर यह प्रकट करता है कि “ ये तुम्हारे लिए निरे शब्द नहीं हैं, बल्कि इन पर तुम्हारा जीवन निर्भर है। ”
यह बात वास्तव में सत्य है। बाइबल की बातों पर वास्तव में हमारा जीवन आधारित है। न केवल हमारा आत्मिक जीवन बल्कि हमारा सामाजिक और सांसारिक जीवन भी। हमें बस इतना करना है कि हमें बाइबल को अपने जीवन में उतारने की कला सीखनी है।
पठन और अध्ययन एक ही सिक्के के दो पहलू
ये दो समान से प्रतीत होने वाले शब्द हम प्रायः बाइबल के साथ प्रयोग करते हैं। कुछ लोग इन्हें एक समान ही मानते हैं पर वास्तव में इनमें भिन्नता है। पठन शब्द का अर्थ होता है पढ़ना। इसमें किसी लिखित वस्तु को समझने या दूसरों पर प्रकट करने के लिए पढ़ा जाता है। अध्ययन का अर्थ होता है ज्ञान प्राप्त करने के लिए विशेष समय लगाकर पढ़ना। बाइबल अध्ययन में हम यही करते हैं। हम बाइबल से एक पुस्तक/पाठ/पद चुनते हैं और उसका अर्थ समझने एवं उसे अपने जीवन में लागू करने के उद्देश्य से उस पर मनन करते हैं। शुरु में यह एक मुश्किल कार्य प्रतीत हो सकता है और यह हो सकता है कि आप इसे सही तरह से न कर पाएँ और केवल पठन तक ही सीमित रह जाएँ पर धीरे - धीरे यह आपको आसान और मजेदार लगने लगेगा।
मुझे याद है कि जब मैं अपने लिए एक बाइबल लेने की सोच रहा था तब मेरे नानाजी ने मुझे अपने समय की एक बाइबल भेंट की थी और आज जो मैं यहाँ यह अध्ययन कार्यक्रम संचालित कर रहा हूँ उसमें उस बाइबल का काफी बड़ा योगदान है। वह एक अध्ययन बाइबल थी और उसे छापने वाली संस्था ने अध्ययन की अहमियत समझाने एवं उसे आसान बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मिसाल के तौर पर सुलेमान के बाद इस्राएल और यूदा के राजाओं का एक संक्षिप्त वृतांत और उनके समकालीन नबियों की सूचि किसी भी व्यक्ति के लिए बाइबल के उन हिस्सों को व्यवस्थित तरीके से समझने में मददगार हो सकती है। इस तरह से आप एक ही समय में राजाओं के बारे में, उनके कार्यों के बारे में, उनपर नबियों के माध्यम से ईश्वर की प्रतिक्रिया के बारे में जान जाते हैं और इन घटनाओं का आगे की घटनाओं के साथ कड़ी जोड़ पाते हैं।
सच में उस बाइबल ने मेरे बाइबल अध्ययन को एक नया मोड़ दिया। मैंने एक रोचक तरीके से बाइबल अध्ययन करना सीखा और मुझे खुशी है कि मैं उस तरीके को यहाँ आपके साथ साझा कर पा रहा हूँ। आशा है कि आप भी परमेश्वर की असीम दया से बाइबल अध्ययन के प्रति उसी नयेपन और रुचि को महसूस करेंगे जिसे मैंने महसूस किया है।
यहाँ बाइबल अध्ययन को एक सफर की तरह से डिजायन किया गया है जिसमें तीन चरण हैं। ये तीन चरण इस बात को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं कि बाइबल साधारण पुस्तक नहीं है इसलिए इसे साधारण पुस्तक की तरह से पहले पन्ने से शुरू करके आखिरी पन्ने तक नहीं पढ़ा जाना चाहिए। इन चरणों को तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखा गया है कि बाइबल का अध्ययन आसान और रुचिकर पाठ से कठिन पाठ की ओर जाए न कि इसका उलटा। ये चरण इस प्रकार हैं:-
बाइबल अध्ययन के मुद्दे पर आने से पहले यह जानना हितकर होगा कि बाइबल वास्तव में क्या है? जब आप बाइबल की विषय-सूची पर सरसरी दृष्टि डालते हैं तो आपको यह ज्ञात हो जाएगा कि बाइबल वास्तव में कई पुस्तकों का उत्तम संकलन है। ये सभी पुस्तकें अलग-अलग समयकाल में ईश्वर की दिव्य प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में मनुष्यों द्वारा रची गईं हैं। इन पुस्तकों में से कुछ कविता की पुस्तकें हैं तो कुछ कहानियों की, कुछ इतिहास का वर्णन हैं तो कुछ भविष्यवाणियाँ तो कुछ विश्वासियों को लिखे गए पत्र हैं। भरपूर विविधता होते हुए भी आश्चर्य की बात यह है कि बाइबल शुरू से आखिर तक एक ही मुख्य विषय को अपने में समेटे हुए है और यह मुख्य विषय है - “ मसीह दुःख भोगेंगे, तीसरे दिन मृतकों में से जी उठेंगे और उनके नाम पर येरुसालेम से लेकर सभी राष्ट्रों को पापक्षमा के लिए पश्चाताप का उपदेश दिया जाएगा। ”
सही मायनों में ईश-वचन
बाइबल कोई ऐसा ग्रंथ नहीं है, जिसमें किसी लेखक ने ईश्वर के विषय में लिखा है। बाइबल प्रधानतः एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें ईश्वर मनुष्य को संबोधित करता है और उसपर यह प्रकट करता है कि “ ये तुम्हारे लिए निरे शब्द नहीं हैं, बल्कि इन पर तुम्हारा जीवन निर्भर है। ”
यह बात वास्तव में सत्य है। बाइबल की बातों पर वास्तव में हमारा जीवन आधारित है। न केवल हमारा आत्मिक जीवन बल्कि हमारा सामाजिक और सांसारिक जीवन भी। हमें बस इतना करना है कि हमें बाइबल को अपने जीवन में उतारने की कला सीखनी है।
पठन और अध्ययन एक ही सिक्के के दो पहलू
ये दो समान से प्रतीत होने वाले शब्द हम प्रायः बाइबल के साथ प्रयोग करते हैं। कुछ लोग इन्हें एक समान ही मानते हैं पर वास्तव में इनमें भिन्नता है। पठन शब्द का अर्थ होता है पढ़ना। इसमें किसी लिखित वस्तु को समझने या दूसरों पर प्रकट करने के लिए पढ़ा जाता है। अध्ययन का अर्थ होता है ज्ञान प्राप्त करने के लिए विशेष समय लगाकर पढ़ना। बाइबल अध्ययन में हम यही करते हैं। हम बाइबल से एक पुस्तक/पाठ/पद चुनते हैं और उसका अर्थ समझने एवं उसे अपने जीवन में लागू करने के उद्देश्य से उस पर मनन करते हैं। शुरु में यह एक मुश्किल कार्य प्रतीत हो सकता है और यह हो सकता है कि आप इसे सही तरह से न कर पाएँ और केवल पठन तक ही सीमित रह जाएँ पर धीरे - धीरे यह आपको आसान और मजेदार लगने लगेगा।
मुझे याद है कि जब मैं अपने लिए एक बाइबल लेने की सोच रहा था तब मेरे नानाजी ने मुझे अपने समय की एक बाइबल भेंट की थी और आज जो मैं यहाँ यह अध्ययन कार्यक्रम संचालित कर रहा हूँ उसमें उस बाइबल का काफी बड़ा योगदान है। वह एक अध्ययन बाइबल थी और उसे छापने वाली संस्था ने अध्ययन की अहमियत समझाने एवं उसे आसान बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मिसाल के तौर पर सुलेमान के बाद इस्राएल और यूदा के राजाओं का एक संक्षिप्त वृतांत और उनके समकालीन नबियों की सूचि किसी भी व्यक्ति के लिए बाइबल के उन हिस्सों को व्यवस्थित तरीके से समझने में मददगार हो सकती है। इस तरह से आप एक ही समय में राजाओं के बारे में, उनके कार्यों के बारे में, उनपर नबियों के माध्यम से ईश्वर की प्रतिक्रिया के बारे में जान जाते हैं और इन घटनाओं का आगे की घटनाओं के साथ कड़ी जोड़ पाते हैं।
सच में उस बाइबल ने मेरे बाइबल अध्ययन को एक नया मोड़ दिया। मैंने एक रोचक तरीके से बाइबल अध्ययन करना सीखा और मुझे खुशी है कि मैं उस तरीके को यहाँ आपके साथ साझा कर पा रहा हूँ। आशा है कि आप भी परमेश्वर की असीम दया से बाइबल अध्ययन के प्रति उसी नयेपन और रुचि को महसूस करेंगे जिसे मैंने महसूस किया है।
यहाँ बाइबल अध्ययन को एक सफर की तरह से डिजायन किया गया है जिसमें तीन चरण हैं। ये तीन चरण इस बात को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं कि बाइबल साधारण पुस्तक नहीं है इसलिए इसे साधारण पुस्तक की तरह से पहले पन्ने से शुरू करके आखिरी पन्ने तक नहीं पढ़ा जाना चाहिए। इन चरणों को तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखा गया है कि बाइबल का अध्ययन आसान और रुचिकर पाठ से कठिन पाठ की ओर जाए न कि इसका उलटा। ये चरण इस प्रकार हैं:-
- पहला चरण - प्रारंभिक बाइबल पठन एवं अध्ययन - इसके अंतर्गत 14 दिनों वाले कुल 12 पड़ाव सावधानीपूर्वक तय किए गए हैं ताकि आप बाइबल के सर्वाधिक प्रसिद्ध अध्यायों और शिक्षाओं से अवगत हो सकें। आप प्रतिदिन 30 मिनट का समय निर्धारित कीजिए और उस दौरान आप बाइबल पठन और विनती प्रार्थना कीजिए। आपके लिए हर दिन एक पाठ निर्धारित किया गया है जिसकी सूची आपको हर पड़ाव के शुरू होने से पहले यहाँ मिल जाएगी साथ ही हर दिन का पाठ भी सुबह 6 से 6ः30 के बीच में पोस्ट कर दिया जाएगा पर आप अपने हिसाब से कभी भी समय निकालकर इसमें शामिल हो सकते हैं। साथ ही उस पाठ पर मैं स्वयं का मनन चिंतन भी पोस्ट करूँगा जो कि आपको खुद का मनन चिंतन करने के लिए मदद कर सकते हैं। पाठ से संबंधित कुछ सवालों को भी पोस्ट किया जाएगा जिनके जवाब आप तलाशें और उन्हें कमेंट के माध्यम से साझा करें। यही आपकी सहभागिता है। यही हमारे लिए इस बाइबल अध्ययन सफर को जारी रखने की प्रेरणा का काम करेंगे। हर पड़ाव के अंत में आपके लिए उस पड़ाव से संबंधित एक जाँच परीक्षा रखने के बारे में हमने विचार किया है।
- दूसरा चरण - बाइबल की प्रत्येक पुस्तक - यहाँ समूची बाइबल में से कुल 186 अध्याय चुने गए हैं। ये कुछ ऐसे अध्याय हैं जो आपको बाइबल को समझने के लिए एक उत्तम आधार प्रस्तुत करेंगे। यहाँ भी सारी चीजें पहले चरण की भांति ही आपको प्रदान की जाएँगी और समय समय पर जाँच परीक्षा रखने का हमारा विचार है।
- तीसरा चरण - संपूर्ण बाइबल - यहाँ पहुँचने तक आप लगभग एक साल बिता चुके होंगे। अब वास्तव में पूरी बाइबल को पढ़ने और उसपर मनन करने का समय आ गया है। इस चरण को इस प्रकार सजाने की कोशिश की गयी है कि आप बराबर रूप से पुराने नियम और नये नियम के पाठों को पढ़ते रहें। इस चरण से संबंधित बातों को बाद में साझा किया जाएगा।
मैं आशा करता हूँ कि हमारे साथ बाइबल अध्ययन करने में आपको न केवल मजा आएगा बल्कि आप बाइबल को पूरी तरह से समझ पाने में सक्षम होंगे। आप सही मायनों में यह जान पाएँगे कि “ ये तुम्हारे लिए निरे शब्द नहीं हैं, बल्कि इन पर तुम्हारा जीवन निर्भर है। ”
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