खीस्त में मेरे प्रिय भाईयों और बहनों, आप सभी को जय येसु।
जैसा कि आज के इस विशेष आलेख के शीर्षक से आप अनुमान लगा पा रहे होंगे कि आज मैं आप लोगों के सामने राख-बुधवार के विषय में बात करने वाला हूँ। इस आलेख में मैंने ‘राख-बुधवार क्या है?’, ‘यह क्यों महत्वपूर्ण है?’, ‘इसे कैसे मनाया जाता है?’ जैसे विषयों को शामिल किया है। मैं आशा करता हूँ कि यह आलेख आपके लिए लाभप्रद होगा और राख-बुधवार तथा चालीसा काल की आपकी आत्मिक तैयारियों के लिए मददगार सिद्ध होगा।
तो आइए, जानते हैं राख बुधवार के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें!
राख बुधवार दुनिया भर के ईसाइयों के लिए चालीसा काल की शुरुआत का प्रतीक है। यह उपवास, पश्चाताप और ईश्वर के साथ संगति करते हुए स्वयं का आध्यात्मिक विकास करने का उत्तम समय होता है। मुख्य तौर पर यह पर्व रोमन कैथोलिक, एंग्लिकन कम्यूनियन, लूथरन तथा अन्य कलीसियाओं में मनाया जाता है। इस दिन से चालीसा काल की शुरुआत होती है जिसका मसीही विश्वास में बड़ा महत्व होता है।
एक मसीही विश्वासी के तौर पर आप ने राख बुधवार के बारे में जरूर सुना होगा पर हो सकता है कि आप किसी कारण से इस पवित्र दिन के महत्व को नहीं समझते हों। इस आलेख के माध्यम से, मैं आप को राख बुधवार क्या है, उस राख का अर्थ क्या है जो माथे पर लगाया जाता है, और इस समय के दौरान उपवास और पश्चाताप का महत्व क्या है, इन सब के बारे में बताऊँगा।
राख बुधवार क्या है?
राख बुधवार, चालीसा का पहला दिन होता है। इस दिन से चालीस दिनों की अवधि के चालीसा काल (लेंट) की शुरूआत होती है जो ईस्टर तक जाती है। यदि आप कैलेंडर में दिनों को गिनेंगे तो आप पाएंगे कि राख बुधवार से लेकर ईस्टर की पूर्व संध्या या पुण्य शनिवार तक कुल 46 दिन होते हैं पर हम इस अवधि को चालीसा (चालीस दिनों की अवधि) कहते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चालीसा काल की गणना के दौरान आने वाले रविवार की गिनती नहीं की जाती है। इसलिए इस अवधि में पड़ने वाले 6 रविवार को हटाकर यह अवधि कुल 40 दिनों की होती है।
राख बुधवार की तारीख हर साल बदलती है, लेकिन यह ईस्टर की तारीख के आधार पर हमेशा 4 फरवरी और 10 मार्च के बीच ही आती है। इन तारीखों की गणना और राख बुधवार की शुरुआत के इतिहास का जिक्र मैं अपने अगले आलेख में विस्तार से करूँगा।
“ऐश वेडनेसडे” या “राख बुधवार” नाम पश्चाताप की निशानी के रूप में माथे पर राख लगाने की प्रथा से आया है। प्रति वर्ष इस राख को तैयार किया जाता है जिसके लिए पिछले साल के खजूर रविवार में इस्तेमाल की गयी आशीषित खजूर की डालियों का प्रयोग किया जाता है। इन डालियों को जलाकर इस राख को तैयार किया जाता है और तब पुनः इस राख की आशीष करके विश्वासियों के माथे पर लगाया जाता है।
राख बुधवार विशेष रूप से उपवास और मनन-चिंतन का पवित्र दिन है क्योंकि इस दिन हम खुद को चालीसा काल के लिए तैयार करते हैं। यह हमारी नश्वरता और उस बलिदान को याद करने का समय है जो प्रभु यीशु ने क्रूस पर हमारे लिए दिया था।
माथे पर लगायी जाने वाली राख का क्या महत्व है?
राख बुधवार को माथे पर जो राख लगाई जाती है वह पश्चाताप और विनम्रता का प्रतीक है। यह हमें हमारी नश्वरता और पाप से दूर होकर ईश्वर की ओर मुड़ने की आवश्यकता की याद दिलाती है।
माथे पर राख लगाने की क्रिया आस्था की सार्वजनिक घोषणा है। यह एक संकेत है कि हम मसीह के शिष्यों के रूप में जीने और प्रतिदिन अपना क्रूस उठाने के लिए तैयार हैं।
यह उस बलिदान का प्रतिनिधित्व करता है जो प्रभु यीशु ने क्रूस पर हमारे लिए दिया था। राख उस क्षमा और नए जीवन की याद दिलाती है जो हमें मसीह के द्वारा प्राप्त होता है।
राख बुधवार पर उपवास और पश्चाताप क्यों महत्वपूर्ण है?
राख बुधवार को उपवास और पश्चाताप महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमें चालीसा काल के लिए खुद को तैयार करने में मदद करते हैं। उपवास स्वयं को नकारने और ईश्वर की ओर अपना ध्यान लगाने का एक तरीका है। यह हमें सांसारिक भोग-विलास की वस्तुओं के बजाय ईश्वर के सानिध्य और आध्यात्मिक सुदृढ़ीकरण पर ध्यान केंद्रित करने और यह याद रखने में मदद करता है कि हमारा अंतिम लक्ष्य सांसारिक सफलता या आनंद नहीं है, बल्कि ईश्वर के साथ मिलन और उसके महिमामय राज्य में प्रवेश करना है।
दूसरी ओर, पश्चाताप पाप से दूर होकर ईश्वर की ओर मुड़ने का कार्य है। इसमें अपनी गलतियों और कमजोरियों को स्वीकार करना, क्षमा मांगना और अपने तरीकों को बदलने की प्रतिबद्धता शामिल है। पश्चाताप एक सतत प्रक्रिया है जिसके लिए विनम्रता और परिवर्तन की इच्छा की आवश्यकता होती है।
चालीसा के दौरान, ईसाइयों को अपने विश्वास में बढ़ने और ईश्वर के साथ अपने रिश्ते को गहरा करने के तरीके के रूप में उपवास करने, प्रार्थना करने और दान देने के लिए कहा जाता है। राख बुधवार इस यात्रा की शुरुआत है, हमारे जीवन पर चिंतन करने और पवित्रता में बढ़ने की प्रतिबद्धता बनाने का समय है।
राख बुधवार कैसे मनाया जाए?
राख बुधवार को व्यक्तिगत रूप से और समुदाय के रूप में मनाने के कई तरीके हैं। आप के लिए इसे आरंभ करने हेतु यहाँ कुछ सुझाव दिए गये हैं:-
मिस्सा में भाग लें - कई चर्च राख बुधवार को मिस्सा की धर्मविधि का आयोजन करते हैं, जिसके दौरान राख वितरित की जाती है। ख्रीस्तयाग में शामिल होना चालीसा काल की शुरुआत करने और अन्य विश्वासियों के साथ जुड़ने का एक शानदार तरीका है।
उपवास - राख बुधवार को उपवास करना एक पारंपरिक प्रथा है, और कई ईसाई ईश्वर की ओर अपना ध्यान मोड़ने के तरीके के रूप में ‘दिन के लिए कुछ छोड़ना’ चुनते हैं। यह भोजन हो सकता है, कोई बुरी लत हो सकती है या खुद का बुरा स्वभाव हो सकता है। लोग प्रायः अपना एक दिन का भोजन त्यागते हैं।
परहेज - उपवास की तरह ही परहेज को भी ईश्वर की ओर अपना ध्यान मोड़ने के एक तरीके के रूप में व्यवहार में लाया जाता है। प्रायः लोग उपवास की श्रेणी में भोजन का त्याग करते हैं और परहेज की श्रेणी में मांसाहार, बुरे तथा नशीले पदार्थों या अपने बुरे स्वभाव को छोड़ना जैसी चीजें शामिल करते हैं।
प्रार्थना करना - राख बुधवार को अकेले या दूसरों के साथ प्रार्थना करने के लिए समय निकालें। इस समय का उपयोग अपने जीवन पर चिंतन करने के लिए करें, क्षमा मांगें, और अपने विश्वास में बढ़ने की प्रतिबद्धता बनाएं।
दान देना - इस दौरान लोगों को दान देने के लिए भी प्रेरित किया जाता है। इसके लिए चर्च से विशेष दान पात्र प्रत्येक विश्वासी के घर के लिए दिया जाता है जिसमें उस परिवार का प्रत्येक सदस्य अपनी स्वेच्छा से कुछ धनराशि डालता है। इस दान पात्र को पवित्र सप्ताह के मिस्सा बलिदान की धर्मविधि के दौरान चढ़ावा दान के समय चर्च में अर्पित किया जाता है। मसीहियों के बीच इस दान को लेकर कई तरह की आदतें प्रचलित हैं। सामान्यतः लोग उपवास तथा परहेज करके अपने लिए जिस धनराशि को व्यय करने से बचाते हैं उसे ही इस दान पात्र में डालते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो किसी परिवार में कोई व्यक्ति जितना उपवास करेगा वह उतना धन संचय करके चालीसा के दान पात्र में डाल पाएगा।
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